Tuesday, 21 February 2017

Dard Shayari Raat Ki Gahrai

रात की गहराई आँखों में उतर आई
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई

0 comments:

Post a Comment