चल पड़ते है कदम जिस तरफ़ तेरी याद मिले
हर सफ़र का हो कोई मकाम ज़रूरी तो नही
बगिया लगती है खुबसूरत, हसीन फूलों से
खुशबू बिखेरे वोह तमाम ज़रूरी तो नही
बहेकने के लिए तेरा एक खयाल काफी है सनम
हाथो मे हो फ़िर से कोई जाम ज़रूरी तो नही
हर सफ़र का हो कोई मकाम ज़रूरी तो नही
बगिया लगती है खुबसूरत, हसीन फूलों से
खुशबू बिखेरे वोह तमाम ज़रूरी तो नही
बहेकने के लिए तेरा एक खयाल काफी है सनम
हाथो मे हो फ़िर से कोई जाम ज़रूरी तो नही
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